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वली मियाँ के कुल शरीफ में हजारों की संख्या में पहुंचे मुरीद।
बरेली। क़ुतुबुल अक़ताब क़िबला अल्हाज मौलाना शाह वली मोहम्मद रहमतुल्लाह अलैह (वली मियाँ) केे चल रहे चार रोज़ा उर्स ए मोहम्मदी का आज इख़्तेताम हो गया, हस्बे मामूल सुबह फ़जर की नमाज़ केे बाद कुरान ख़्वानी हुई । सुबह से ही आस पास केे शहर के ज़ायरीन केे आने का तांता लगा रहा, आस्ताने केे सभी मेहमानखानों में ज़ायरीन ठहरे हुए हैं । ज़ायरीन केे लिए दरगाह के सज्जादानशीं की जानिब से चिश्तिया पैलेस में लंगर का इंतेज़ाम रहा, आस्ताने केे आस पास केे मोहल्ले ज़ख़ीरा, रेती,कटघर, सराय आदि जगह भी ज़ायरीन केे लिए लंगर व सबील चलता रहा । शहर के अलग अलग जगह कटघर, किला, ठिरिया निजावत ख़ां, हुसैन बाग़, ज़ख़ीरा,जसोली, आदि जगह से चादरें आती रहीं, मज़ार मुबारक पर लोग इत्र व फ़ूल पेश करते नज़र आये आस्ताना इत्र की खुशबू से महक रहा था। कुंडा,इलाहाबाद,लखनऊ, दिल्ली,राजस्थान, मुंबई, उत्तराखंड, से बाहर के ज़ायरीन भी चादरपोशी व गुलपोशी नज़र आए। वजीरगंज चेयरमैन मोहम्मद उमर क़ुरैशी के साथ मोइन, राशिद, सरफराज आदि ने भी चादर पेश की, इलाहाबाद से मोहम्मद शाकिर के साथ 45 लोगों का काफ़िला दरगाह पहुँचा और चादरपोशी की।
ज़ोहर की नमाज़ अदा करने के बाद सज्जादानशीं अल्हाज अनवर मियां हुज़ूर मिम्बर पर तशरीफ़ फ़रमा हुए, प्रोग्राम का आग़ाज़ कारी गु़लाम यासीन ने कलाम उल्ला की तिलावत से किया। शौअरा हज़रात ने नात मन्क़बत पढ़ी,मुफ़्ती सगीर अख्तर ने “अफ़सोस कुछ भी न कर सके रब की बन्दगी, आए थे जिसके वास्ते मुल्के अदम से हम”, शाहबाद से आये गुल मोहम्मद ने “अनवर मियां की खास इनायत का फैज़ है, लिखते हैं अच्छे शेर जो अपने कलम से हम” पढ़कर अक़ीदत का नज़राना पेश किया, बदाय़ू से तशरीफ़ लाए साकिब रज़ा ने “दिल की मुराद पाएंगे आंखों से देखना, दर पर वली के आये हैं नाज़ो नेअम से हम” पढ़ा, मोइन नवाबगंजवी ने “पुरखों से खा रहे हैं दरे शाह जी की भीक,यानि हैं शेरी और बसीरी जनम से हम” पढ़ा, फ़ारूख़ मदनापुरी ने “उर्स ए मोहम्मदी है ये उर्स ए मोहम्मदी,इस उर्स में किसी की नहीं कटती जेब है।
इस वास्ते ये उर्स ये उर्स बड़ा दीदा ज़ेब है चंदे की भी अपील यहाँ होती नहीं कभी
उर्स ए मोहम्मदी है ये उर्स ए मोहम्मदी” कारी गुलाम यासीन ने “लिख लिख के मंकबत मेरे सरकार आपकी,जन्नत में घर बनाएंगे अपने कलम से हम”,
डा.हिलाल बदायूं ने “मुस्तफा मिल गए और ख़ुदा मिल गया
खुशनसीबी जो दर आपका मिल गया।
जितना मांगा था उससे सिवा मिल गया
शुक्रे रब जो मिली रहबरी आपकी
या वली या वली या वली या वली”, पढ़ा ,बिहार से तशरीफ़ लाए मौलाना गुलाम जिलानी ने आदि ने हज़रत वली मियाँ की शान में मन्क़बत पढ़ी। नूरानी महफ़िल में शहर शहर गली गली या वली या वली केे नारे लग रहे थे। इसके बाद तक़ारीर उलमा ए अक़राम का दैर चला,
मौलाना ततहीर अहमद साहब ने उर्स ए मोहम्मदी की मुबारकबाद देते हुए अपने खुसीसी बयान में कहा कि आलिम और मौलवी वो है जिसे देख कर रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो अलैह वसल्लम की याद आ जाये और मुरीद ऐसा हो कि उन्हें देख कर पीर की याद आ जाये। हुजूर ने फ़रमाया मस्जिद में बैठ कर नमाज़ का इंतजार करना रहमानियत है 5 वक्त की नमाज़ की पढ़ो और नमाज के मस्जिद में बैठो य़ह भी इबादत है, पैगंबर का पहला जुलूस 5 टाइम की नमाज़ है। फातिहा(नियाज) की दावत के ताल्लुक से बतया कि जिसके ऊपर कर्जा है पहले वो चुकाए य़ह चुकाना ज्यादा जरूरी है,। अपने बयान को आगे बढ़ाते हुए कहा कि सबसे पहले रहम दिल होना ज़रूरी है आजकल लड़की वालों से ज़बरदस्ती दहेज के दबाया जाता है, कई तरह के पकवान के लिए कहा जाता है, देखा गया है कि शादी की सालगिरह मनाई जानी लगी है ये सब ख़िलाफ़ ए शरा है सब तमाशा है इससे अच्छा गरीबों की मदद करें। आजकल गलत रस्मों का रिवाज बन गया है औरतों का शादियों में बारात का इस्तकबाल करना,हल्दी की रस्म, डांस हो रहा है य़ह सब बेहायई हो रही है इस सब से परहेज करें। नेकी के काम मे मदद करो लेकिन गुनाहों के कामों में मदद से बचो।
मौलाना तारिक ने हुजूर ए पाक सल्लल्लाहो अलैह वसल्लम ने फ़रमाया तुम में से बेहतर वह है जिसके अख़लाक़ अच्छे हों और फ़रमाया मुस्लमान तो वो है जिसके हाथ और जुबान से लोग महफ़ूज़ रहें लिहाज़ा किसी को तकलीफ़ न पहुंचाई जाय, ग़ीबत-चुगली-झूठ फरेब वगैरह गुनाहे सगीरा व कबीरा से बचें और वो बात न कहें जो दिल में न हो और गरीब मसाकीन और फ़ुकरा की हर वक्त मदद करता रहे।
नात मन्क़बत व तकारीर केे बाद ठीक 4 बजकर 50 मिनट पर फ़ातिहा हुई और हज़रत वली मियां रहमतुल्लाह अलैह के इख़्तेतामी कुल शरीफ़ हुआ शिजरा शरीफ़ पढ़ा और हाफ़िज़ फ़ाज़िल ने सलात व सलाम पढ़ा इसकेे बाद दरगाह वली मीयां केे सज्जादानशीं अल्हाज अनवर मियाँ हुज़ूर ने मुल्क में अमन व चैन के लिए दुआ ए ख़ैर की । इस मौके पर सय्यद नाज़िर अली(चाँद), ताहिर जमाल शमसी,आरिफ़ उल्लाह, मोहसिन ख़ान एडवोकेट, हाफ़िज़ रईस,सय्यद मतीन उल्ला, वली उल्ला मोहम्मदी, अरसलान शमसी, अहमद हुसैन, मुस्तजाब अली, तजम्मुल,राशिद हुसैन, डा. खालिद हुसैन,इमरान मोहम्मदी, सरफराज (अन्नू) मौजूद रहे। इसी के साथ सज्जादानशीं अल्हाज अनवर मियाँ हुज़ूर की सदारत में उर्स ए मोहम्मदी का इख़्तेताम हो गया, प्रोग्राम की निज़ामत हाफ़िज़ जानिसार अखतर की रही।
” उर्स ए मोहम्मदी में इफ़्तेख़ार हुसैन,इल्यास,अब्दुल कय्यूम,मोहम्मद मियां,अब्दुल जब्बार,फ़िरासत,शोबी,अफसर,सलमान, काशिफ़ आदि का सहयोग रहा ।
डा. फ़रमान अनवर और एम वासिफ़ की जानिब से उर्स ए मोहम्मदी में ज़ायरीनों के लिए निशु:लक मेडिकल कैम्प रहा ।
