बरेली। एक पिता ने अपने बेटे को बड़ा अधिकारी बनाने का सपना देखा था, लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था। 21 वर्षीय होनहार छात्र गौरव कुमार गंगवार, जो यूपीएससी की तैयारी कर रहे थे, सोमवार दोपहर बाईपास रोड स्थित चेतराम पार्क के पास लोहे की रेलिंग में उतरे करंट की चपेट में आकर मौत का शिकार हो गए। इस दर्दनाक हादसे ने पूरे क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ा दी।
जानकारी के अनुसार, गांव कल्यानपुर निवासी गौरव कुमार, पुत्र छत्रपाल, दोपहर करीब 2 बजे खाना खाने के लिए रोड पार कर रहे थे। इसी दौरान उन्होंने डिवाइडर की रेलिंग को पार करने की कोशिश की, लेकिन उन्हें यह अंदेशा नहीं था कि यह रेलिंग करंट से भरी हुई है। छूते ही गौरव की मौके पर ही मौत हो गई।
गौरव तीन भाई-बहनों में सबसे छोटा था। उनकी असमय मौत की सूचना मिलते ही परिवार पर गम का पहाड़ टूट पड़ा। मां, पिता, भाई-बहन सब बदहवास हैं और रो-रोकर बुरा हाल है। जिस बेटे को अधिकारी बनाने के सपने देखे थे, वह अब सिर्फ एक तस्वीर बनकर रह गया। इसी हादसे में विजौरिया निवासी मजदूर निरंजन लाल भी करंट की चपेट में आ गए, जो काम से लौटते समय वही रेलिंग पार कर रहे थे। वे बुरी तरह झुलस गए, लेकिन विश्व हिंदू परिषद के पूर्व जिला अध्यक्ष अखिलेश गंगवार की तत्परता ने उनकी जान बचा ली। उन्होंने एक लंबी लकड़ी की मदद से निरंजन को करंट से अलग किया और तत्काल इलाज के लिए भेजवाया।
स्थानीय लोगों में आक्रोश, विभाग पर लापरवाही का आरोप
मौके पर पहुंचे एसआई अभिषेक नगर व कॉन्स्टेबल प्रशांत कुमार ने शव को कब्जे में लेकर पंचनामा भरकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। घटना के बाद मौके पर पहुंचे तहसीलदार सत्यवीर सिंह, लेखपाल गौरव कुमार, भाजपा नेत्री व पूर्व जिला पंचायत सदस्य नीरू सिंह सागर, पूर्व ब्लॉक प्रमुख विनोद दिवाकर, गौरव के मामा राममूर्ति गंगवार, व सपा नेता मुन्ना गंगवार सहित कई जनप्रतिनिधियों ने विभाग की घोर लापरवाही पर नाराजगी जताई और कड़ी कार्रवाई की मांग की।
जरूरी सवाल: आखिर किसकी जिम्मेदारी?
स्थानीय लोगों का कहना है कि डिवाइडर पर लगे बिजली के पोल व रेलिंग की नियमित जांच नहीं की जाती, जिससे इस प्रकार की घटनाएं हो रही हैं। यह सिर्फ लापरवाही नहीं, बल्कि सीधे तौर पर जानलेवा अपराध है। अब सवाल उठता है कि गौरव की मौत का जिम्मेदार कौन है?
