बरेली। सुखन की दुनिया में एक नया सितारा चमका, जब बरेली के खुशलोक हॉस्पिटल के ऑडिटोरियम में ज़िलानी मुशायरा व कवि सम्मेलन का शानदार आयोजन हुआ। यह महफिल-ए-शायरी न सिर्फ दिलों को छू गई, बल्कि बरेली की साहित्यिक फिज़ा को और भी रौशन कर गई। इस मुशायरे की सदारत मशहूर शायर चांद ककरालवी ने की, जिनके सुलझे हुए अंदाज़ ने समां को और भी निखारा। आयोजन की कमान शान ज़िया और सुनैना ज़िलानी ने संभाली, जिन्होंने इस महफिल को यादगार बनाने में कोई कसर न छोड़ी।
मुख्य अतिथि के तौर पर डॉ. विनोद पागरानी की मौजूदगी ने इस साहित्यिक जलसे को और आबाद किया, वहीं विशिष्ट अतिथि डॉ. अनीस बेग के आगमन ने मुशायरे में चार चांद लगा दिए। उनकी तशरीफ़ ने शायरों और श्रोताओं में जोश का नया आलम पैदा किया। इस महफिल में शायरी के सितारों ने अपने अशआरों से हर दिल को मोह लिया। मध्यम सक्सेना, सचिन अग्रवाल, मुंतजिर फिरोजाबादी, मनी सारस्वत, सफ़ीक़ रिठौरवी, शान मिस्बाही, इरफ़ान आविद, आरिश हाफ़ी, महवर शिरस्वी, युनुस चिश्ती, अहमद अज़ीम और अली शारिक़ जैसे नामी शायरों ने अपने कलाम से माहौल को जादुई बना दिया।
कहीं हंसी की फुलझड़ियां छूटीं, कहीं तालियों की गड़गड़ाहट गूंजी, तो कहीं आहों और दाद की बारिश ने शायरों का हौसला बढ़ाया। हर शायर ने अपने अनूठे अंदाज़ में ज़िंदगी, मोहब्बत, और समाज के रंगों को लफ्ज़ों में पिरोया। मुशायरे के मीडिया प्रभारी फ़हीम दानिश ने बताया कि यह आयोजन बरेली की साहित्यिक तहज़ीब का एक अनमोल तोहफा था, जिसने हर श्रोता के दिल में शायरी की चिंगारी जलाई।
“लफ्ज़ों के दीप जले, महफिल-ए-सुखन सजी,
बरेली की ज़मीन पर शायरी की बस्ती बसी।”
यह मुशायरा न सिर्फ एक साहित्यिक आयोजन था, बल्कि बरेली की सांस्कृतिक विरासत को और मज़बूत करने का एक सुनहरा मौका भी साबित हुआ।
