उर्स-ए-फैज़ानी:परचम कुशाई से महफ़िल का आगाज़

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बरेली। दरगाह के नायब सज्जादानशीन हज़रत ख़्वाजा सलमान मियाँ नासरी ने कहा कि 1906 में हज़रत नासिर मियाँ ने पर्दा करते वक़्त इमाम अहमद रज़ा फ़ाज़िले बरेलवी आला हज़रत के हाथों में फैज़ान मियाँ का हाथ यह कहकर दिया कि यह फ़क़ीर की निशानी है और इनकी परवरिश की ज़िम्मेदारी आपकी है। आला हजरत ने वादे के मुताबिक़ हज़रत मौलाना फैज़ान अहमद रहमतुल्लाह अलेह की परवरिश की और पढ़ाई की ज़िम्मेदारी को निभाया। आला हजरत की देखरेख में मौलवी और फ़ाज़िल की डिग्री हासिल की और पढ़ाई के बाद लोगों की खिदमत करते हुए दीन का काम करते रहे।आज उनके भी मानने वाले देश व विदेश है।समाजसेवी पम्मी ख़ाँ वारसी ने कहा कि रूहानियत की महफ़िलो में दिली सुकून मिलता है।

नोमहला शरीफ परिसर स्थित दरगाह नासिर मियाँ रहमतुल्लाह अलेह पर चार रोज़ा उर्से फैज़ानी दरगाह के सज्जादानशीन हज़रत ख़्वाजा सुल्तान अहमद मियाँ नासरी साबरी अल क़ादरी की सरपरस्ती में महफ़िल का आगाज़ हुआ। नायब सज्जादानशीन हज़रत ख़्वाजा सलमान मियाँ नासरी ने कहा कि 45वें हज़रत फैज़ान अहमद रहमतुल्लाह अलेह के उर्स की तकरीबात बाद नमाज़े असर परचम कुशाई से हुए मिलाद ए पाक की महफ़िल में दुआ की,उलेमा इकराम सलमान रज़ा क़ादरी,अफसर,नसीम नूरी नात ख़्वानी के जरिये बुज़ुर्गों की शख्सियत को बयां किया।

हज़रत शाने अली कमाल मियाँ,सूफी वसीम मियाँ नासरी साबरी,शाहिद रज़ा नूरी ने अकीदतमंदों का गैरमखदम किया।
महफ़िल में पम्मी ख़ाँ वारसी,सरवर नासरी, बब्बू नासरी,फहीम यार खान,अलीम सुल्तानी,साबिर सुल्तानी,यासिर सुल्तानी, वारिस सुल्तानी, साकिब सुल्तानी, इफ़जान सुल्तानी,सलमान सुल्तानी,ख़्वाजा वसीम मियाँ नासरी साबरी, हज़रत शाने अली कमाल मियाँ साबरी नासरी, सूफी वसीम मियाँ साबरी नासरी,मो शाहिद क़ुरैशी नासरी,जियाउर्रहमान,अंजुम नासरी, वारिस नासरी, गुलफाम नासरी, सलीम साबरी, नईम साबरी और रिज़वान मियाँ आदि प्रमुख रूप से शामिल रहे। हज़रत शाने अली कमाल मियाँ ने बताया कि जुमे को बाद नमाज़े असर खत्मे शरीफ़ की महफ़िल और महफ़िल समां, बाद नमाज़े मग़रिब लंगर ए आम का आयोजन, बाद नमाज़े इशा ऑल इंडिया मुशायरा होगा।

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