डॉक्टर अनीस बेग ने मनाया जश्न-ए-आज़ादी, शानदार मुशायरे में सजी भारत के मशहूर कवियों की महफ़िल

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BAREILLY

डॉक्टर अनीस बेग ने मनाया जश्न-ए-आज़ादी, शानदार मुशायरे में सजी भारत के मशहूर कवियों की महफ़िल

आपको बता दे बरेली में जश्न-ए-आज़ादी के उपलक्ष्य में डॉक्टर अनीस बेग द्वारा भव्य मुशायरे का आयोजन किया गया कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पूर्व मंत्री राजपाल कश्यप , इस मौके पर देश के नामचीन शायरों ने अपनी ग़ज़लों और नज़्मों से ऐसा समां बाँधा कि देर रात तक श्रोतागण तालियों से महफ़िल गूंजाते रहे मुशायरे की शुरुआत दीप प्रज्वलन के साथ भारत माँ को समर्पित नज़्म से हुई, देशभक्ति से ओत-प्रोत कविताओं ने लोगों के दिलों में एक नई ऊर्जा और जोश भर दिया इस अवसर पर दिल्ली, लखनऊ, अलीगढ़, मुरादाबाद और बरेली सहित देशभर से आए प्रसिद्ध शायरों ने अपनी-अपनी रचनाओं से महफ़िल को सजाया। शायरों ने मोहब्बत, इंसानियत और अमन के पैग़ाम को अपने अशआर के ज़रिए पेश किया।

कार्यक्रम में डॉक्टर अनीस बेग ने अभी क्षेत्र वासियों को आजादी के बहुत बहुत शुभकामनाएं देते हुए कहा कि आजादी को हम जश्ने आजादी के रूप में मना रहे है इसको हमने नाम दिया है एक शाम एकता के नाम शायरी हमारी तहज़ीब का आईना ही नहीं बल्कि इससे आपसी भाईचारे और गंगा-जमुनी संस्कृति भी मज़बूत होती है महफ़िल में मौजूद शायरों ने देश की आज़ादी और लोकतंत्र की महत्ता पर शेर पेश कर सबका दिल जीत लिया कार्यक्रम में उपस्थित कवियों में बरेली के शान वसीम बरेलवी, शबीना अदीब,नदीम फारुख, मंज़र भोपाली , खुर्शीद हैदर, मनिका दुबे,चिराग शर्मा, हाशिम फिरोजाबादी,हिमांशी बाबरा,मोहन मुंतजिर बिलाल सहारनपुर, मध्यम सक्सेना, इब्राहम अली,जीशान,आरिफ ह़ाफी,राहिल बरेलवी आदि के समा बांध दिया ,वसीम बरेलवी की
इतना बिखराव संभाला नहीं जाता मुझ से
खुद को यू ट्यूब पे डाला नहीं जाता मुझ से,
शबीना अदीब की जो ख़ानदानी रईस हैं वो मिज़ाज रखते हैं नर्म अपना तुम्हारा लहजा बता रहा है तुम्हारी दौलत नई नई है
नदीम फर्रुख की त’अल्लुक़ात के धागे तो कब के टूट चुके मगर ये दिल है कि फिर आना जाना चाहता है,मंज़र भोपाली
ताक़तें तुम्हारी हैं और ख़ुदा हमारा है
‘अक्स पर न इतराओ आईना हमारा है
खुर्शीद हैदर की भला कैसे रुकें इक मां के आंसू बुढ़ापे का सहारा जा रहा है
मनिका दुबे की शहर के शोर में तन्हाइयां हैं
यहां तुम हो मगर वीरानियां हैं
चराग़ शर्मा तितली से दोस्ती न गुलाबों का शौक है मेरी तरह उसे भी किताबों का शौक है हाशिम फिरोजाबादी की अभी तो सब्र से बैठे हैं मेरे दुश्मन मैं जानता हूं फुर्सत में मारा जाऊंगा ,बिलाल सहारनपुरी की पचपन बरस बाद की शादी तो ये हुआ दूल्हे पे जो रक़म थी हकीमों में बाँट दी हिमांशी बाबरा की
तू लाख बेवफ़ा है मगर सर उठा के चल
दिल रो पड़ेगा तुझको पशेमान देखकर
मोहन मुन्तजिर की सरहदों पर हुए वो फिदा गोलियों की नज़र हो गए आसमानों के ऊपर कहीं उन फरिश्तों के घर हो गए
मध्यम सक्सेना की अब मान भी लो न हिन्दू हैं न मुस्लिम हैं कुछ लोग तुम्हारी खेमे में कुछ लोग हमारे खेमे में ,इब्राहिम अली ज़ीशान की
इस भरे शहर में एक ही सौदागर है
अब मैं सामान खरीदूं के तराज़ू देखूं
आरिश हाफ़ी की खिड़की से देखते थे हम इक दूसरे को दोस्त फिर उसकी मां ने गुस्से में पर्दा लगा दिया राहिल बरेलवी की किसी का सर उतारा जा रहा है किसी को सर चढ़ाया जा रहा है शाइस्ता सना की किताबें और उतरी हैं लेकिन मेरे कुरऑं की खूबी है के अंधे भी इबादत करने लगते हैं ने लोगों का खूब मनोरंजन किया पूरा ग्राउंड तालियों से गूंजता रहा कार्यक्रम में बड़ी संख्या में गणमान्य लोग, साहित्य प्रेमी और युवा उपस्थित रहे राष्ट्रीय अध्यक्ष मिठाई लाल भारती विशिष्ट अतिथि सुमैया रानी,शिव चरण कश्यप,शमीम खान सुलतानी डॉ सुप्रिया ऐरन ,डॉ आई एस तोमर,डॉ अमीद मुराद ,डॉ सबीन एहसन,डॉ सबीना खान ,डॉ गयासुल रहमान,डॉ अयूब अंसारी,डॉ सैफ शेख ,डॉ आसिफ ,केबी त्रिपाठी,अशफाक सकलानी ,सरदार काले, ग़ज़ल अंसारी, स्मिता यादव,विनोद पागरानी,असगर अली, सौरभ खन्ना, साज़ेव हाशमी आदि रहे।

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