बरेली। रोहिलखण्ड अभिभावक सेवा समिति ने निजी स्कूलों द्वारा अत्यधिक फीस वृद्धि और अन्य अनियमित्ताओं के खिलाफ कड़ा रुख अपनाते हुए जिलाधिकारी को एक ज्ञापन सौंपा है। यह कदम शैक्षिक सत्र 2025-26 में अभिभावकों पर बढ़ते आर्थिक और मानसिक दबाव को देखते हुए उठाया गया है। समिति का कहना है कि सीबीएसई और आईसीएसई बोर्ड से संबद्ध निजी स्कूलों की मनमानी के कारण अभिभावकों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
ज्ञापन में कई महत्वपूर्ण मुद्दों को रेखांकित किया गया है, जिनमें फीस वृद्धि, पाठ्यक्रम में बार-बार बदलाव, पुस्तक विक्रेताओं की मनमानी, और स्कूल प्रबंधन की असहयोगात्मक रवैया शामिल हैं। समिति ने आरोप लगाया है कि निजी स्कूलों ने पिछले वर्ष की तुलना में इस साल फीस में 15 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि की है, जबकि यह वृद्धि 5 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए। इससे अभिभावकों पर अनावश्यक आर्थिक बोझ पड़ रहा है। इसके अलावा, हर साल पाठ्यक्रम में बदलाव के कारण अभिभावकों को नई किताबें खरीदने के लिए मजबूर होना पड़ता है, जो उनकी जेब पर भारी पड़ता है। समिति ने मांग की है कि पाठ्यक्रम में बदलाव हर साल न होकर तीन साल में एक बार किया जाए, ताकि अभिभावकों को राहत मिल सके।
ज्ञापन में पुस्तक विक्रेताओं की मनमानी का मुद्दा भी उठाया गया है। समिति के अनुसार, किताबें एमआरपी पर बेची जा रही हैं, जो पूरी तरह अनुचित है। अभिभावकों ने मांग की है कि जिलाधिकारी इस मामले में हस्तक्षेप करें और पुस्तक विक्रेताओं को उचित मूल्य पर किताबें बेचने का निर्देश दें। इसके साथ ही, निजी स्कूलों के प्रधानाचार्यों द्वारा अभिभावकों को मिलने का समय न देने की शिकायत भी सामने आई है। समिति ने जोर देकर कहा कि प्रधानाचार्यों को हर अभिभावक से मिलने का आदेश दिया जाए, ताकि उनकी समस्याओं का त्वरित समाधान हो सके।
रोहिलखण्ड अभिभावक सेवा समिति ने जिलाधिकारी से अपील की है कि इन सभी बिंदुओं पर गंभीरता से विचार करते हुए स्कूल प्रबंधन और अभिभावक संघ के कार्यकर्ताओं की एक बैठक बुलाई जाए। समिति का मानना है कि इससे न केवल अभिभावकों की समस्याओं का समाधान होगा, बल्कि शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता और जवाबदेही भी सुनिश्चित होगी। अभिभावकों ने उम्मीद जताई है कि प्रशासन इस दिशा में ठोस कदम उठाएगा।