Bareilly News: जुलूसे परचम कुशाई से उर्स ए शराफ़ती का हुआ पुरज़ोर ऐलान

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बरेली। 1 रबीउल अव्वल शरीफ़ मुताबिक 58 वें सालाना उर्स शराफ़ती की परचम कुशाई से माहे ईद मीलादुन्नबी का शानदार इस्सक़बाल किया गया। – ख़ानक़ाह शरीफ़ के मेहमान खाने में सुबह 11 बजे तकरीरी प्रोग्राम का आग़ाज़ किया गया, प्रोग्राम का आग़ाज़ तिलावते कलामे पाक से हुआ और निज़ामत मुख्तार तिलहरी ने की।

हज़रत अल्लामा प्रोफ़ेसर महमूद उल हसन साहब ने अपने ख़िताब में आमदे जश्ने विलादते रसूल स० व० की अज़मतो बरकत पर रौशनी डालते हुए आवाम को ये पैग़ाम दिया कि इस बार हमारे आक़ा ओ मौला का 1500 साला जश्न विलादते पाक है, ये हमारे लिए बड़ी ख़ुशी का दिन है इसको हम सबको बड़ी मोहब्बत, जोश ओ जज़्बे के साथ मनाना है और हमें आपसी इत्तिहाद सौहार्द अमन का भी मुज़ाहिरा करना है हमारे किसी अमल से इंसानियत को तकलीफ़ नहीं होना चाहिए।

हज़रत मुफ़्ती फ़हीम अज़हरी सकलैनी ने अपनी तक़रीर में साहिबे उर्स “हज़रत शाह मौलाना शराफत अली मियां रहमतुल्लाह अलैह की बुजुर्गी बयान करते हुए कहा कि आप सिलसिला क़ादरिया नक़्शबंदिया के अज़ीम बुजुर्ग हैं आज आस्माने शरीफ़ पर जो मख़लूके ख़ुदा दीवाना वार उमड़ रही है ये सब आपकी मेहनतों और बुजुर्गी का फ़ैज़ान है।

प्रोग्राम की सरपरस्सी साहिबे सज्जादा जानशीने मियां हुजूर हज़रत शाह मोहम्मद गाज़ी मियां सकलैनी उल क़ादरी ने फरमाई , प्रोग्राम दोपहर 2 बजे तक चला इसके बाद जुहर की नमाज़ अदा की गई बाद नमाज़ फातिहा ख्वानी हुई और साहिबे सज्जादा हज़रत गाज़ी मियां हुजूर ने तमाम अकीदतमंदों को जुलूसे परचम कुशाई में अदब ओ एहतराम के साथ चलने की हिदायत फ़रमाई।

जुलूसे परचम दोपहर 2:30 बजे दरगाह शरीफ़ से रवाना होकर अपने मुकर्रर रास्तों की तरफ़ रवाना हो गया, कच्ची मस्जिद, ब्रहमपुरा, दिलशाद बजरिया, दीवानखाना चौक, कोहाड़ापीर चौराहा से गुज़रता हुआ नैनीताल रोड, कुतुबखाना पहुंचा और मनिहारान गली होता जुलूस वापस दरगाह शरीफ़ पर पहुंचा, दरगाह शरीफ़ पर जुलूस का परचम साहिबे सज्जादा ने नस्म किया। जुलूसे परचम कुशाई की क़यादत नबीरा-ए-मियां हुजूर हज़रत सादकैन मियां सकलैनी व हाफ़िज़ ओ इमाम गुलाम ग़ौस सकलैनी ने की।

भूड़ पर डॉक्टर राम किशोर ने पुष्प वर्षा कर जुलूस का स्वागत किया इसके अलावा जगह-जगह छतों व व दुकानों से फूल की बारिशों से जुलूस का इस्तकबाल होता गया जूलूस जिन रास्तों से गुज़रा वो रास्ते फूलों की खुशबुओं से महकते गए। रास्ते में सबीलों का एहतिमाम इस साल परचम कुशाई में अकीदतमंदों के लिए खाने-पीने की सबीलों का काफ़ी जगहों पर एहतिमाम किया गया, कोहाड़ापीर चौराहे पर घोसी बिरादरी की तरफ़ से 50 कुंटल दूध की सबील लगाई गई, इसके अलावा रास्ते भर पीर भाइयों की दुकानों पर पानी, शरबत, मिठाई, आदि सबीलों का उम्दा एहतिमाम किया गया।

जुलूस खूब शान ओ शौकत व अमन ओ मोहब्बत के साथ संपन्न हुआ, इस दौरान पुलिस-प्रशासन व नगर निगम द्वारा साफ़-सफ़ाई का भरपूर सहयोग रहा। जुलूस में खास तौर पर मौलाना रिफाक़त नईमी, मौलाना मुख्तार सकलैनी, मुफ्ती फ़हीम अहमद सकलैनी, मौलाना अनवार सकलैनी, हाफ़िज़ गौसी सकलैनी, हाफ़िज़ जाने आलम, मोहम्मद हमज़ा सकलैनी, गुलाम मुर्तुज़ा सकलैनी, फैजयाब सकलैनी, मुंतासिब सकलैनी, मुनीफ़ सकलैनी, हाजी लतीफ़ सकलैनी, इंतिज़ार सकलैनी, मेराज सकलैनी, असदक़ सकलैनी, ज़िया सकलैनी, असदक़ सकलैनी, नज़ीफ़ सकलैनी, हमूद सकलैनी आदि शामिल रहे।

जुलूस की व्यवस्था व देख-रेख में आफताब सकलैनी, अबरार हुसैन, सय्यद राशिद सकलैनी, जमील सकलैनी, सय्यद आमिर, फ़ैसल सकलैनी, मोहसिन आलम, तनवीर सकलैनी, निज़ाम सकलैनी, मुशाहिद सकलैनी, अब्बास सकलैनी, खुर्रम सकलैनी, आरिफ़फ़ सकलैनी, शावेज सकलैनी, यावर सकलैनी, रिज़वान सकलैनी आदि मौजूद रहे।

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