उत्तरप्रदेश
जुलूस-ए-गौसिया में या गौस की हुई सदाए बुलंदरंग बिरंगी पोशाक में चंद अंजुमनों ने की शिरकत
फिरोज खान, यूपी हेड /उत्तरप्रदेश
बरेली,ग्यारहवी शरीफ पर बड़े पीर शेख अब्दुल कादिर जिलानी बगदादी गौस-ए-पाक की याद में आज सैलानी रज़ा चौक से जुलूस-ए-गौसिया पूरी शान-ओ-शौकत के साथ दरगाह प्रमुख हज़रत मौलाना सुब्हान रज़ा खान (सुब्हानी मियां) की सरपरस्ती व सज्जादानशीन व बानी-ए-जुलूस मुफ़्ती अहसन रज़ा क़ादरी (अहसन मियां) की क़यादत में निकाला गया।अंजुमन गौसो रज़ा (टीटीएस) के तत्वाधान में अंजुमने रंग-बिरंगे पोशाक में शामिल हुई। अंजुमन में शामिल लोग या गौस की सदाए बुलंद करते हुए चले। जुलूस आयोजक हाजी शारिक नूरी,मुस्तफ़ा नूरी,अफजलुद्दीन,वामिक रज़ा,ज़मन रज़ा आदि ने कायदे जुलूस मुफ़्ती अहसन मियां व अल्हाज मोहसिन हसन खान की दस्तारबंदी कर फूलों से जोरदार इस्तक़बाल किया। कायद ए जुलूस मुफ़्ती अहसन मियां ने अंजुमन गौस-ओ-रज़ा परचम कमेटी के सय्यद बिलाल अली को गौसिया परचम सौपकर जुलूस को रवाना किया।
मीडिया प्रभारी नासिर कुरैशी ने बताया कि महफ़िल का आगाज़ मुफ्ती अजहर रज़ा ने तिलावत-ए-कुरान से किया। मुफ़्ती बशीर उल क़ादरी व मौलाना जाहिद रज़ा ने गौस-ए-पाक की करामत बयान करते हुए कहा कि शेख अब्दुल कादिर बगदादी ने हमें बताया कि कितनी ही बड़ी मुश्किल आ जाए लेकिन कभी सच और सब्र का दामन न छोड़ें। अपने मज़हब पर सख्ती से कायम रहते हुए अल्लाह और उसके रसूल के बताए रास्ते पर चले। जुल्म इस्लाम का हिस्सा नही न किसी पर जुल्म करे और न जुल्म सहे। नातखवा आज़म तहसीनी ने नात-ओ-मनकबत नज़राना पेश किया। जुलूस रवाना होने से पहले ख़ुसूसी दुआ मुफ़्ती अहसन मिया ने की। जुलूस का संचालन मुस्तफ़ा नूरी ने करते हुए आला हज़रत ये शेर पढ़ा “ये दिल ये जिगर ये आँखे ये सिर जहाँ चाहो रखों कदम गौसे आज़म।
सबसे आगे अंजुमन ताजुशशरिया की फ़ौज व अंजुमन गौस ओ रज़ा चली। जुलूस अपने कदीमी रास्तों सैलानी रज़ा चौक,मुन्ना खान का नीम,साजन पैलेस,जगतपुर के रास्ते वापिस काकर टोला से होता हुआ दरगाह शाहदाना वली हाज़िरी देते हुए देर रात सैलानी रज़ा चौक पर खत्म हुआ। रास्तों में जगह जगह फूलों से जुलूस का इस्तक़बाल किया गया। सबील व लंगर भी तक़सीम किया गया। सुबह में जुलूस आयोजक हाजी शारिक नूरी के आवास पर महफ़िल सजाई गई। कुरानख्वानी के बाद नात-ओ-मनकबत का नज़राना मौलाना निजामुद्दीन नूरी,मौलाना बिलाल रज़ा,हाफिज फुरकान रज़ा ने पेश किया। तोशा शरीफ की फातिहा हुई।
