सुप्रीम कोर्ट के जजों की लाइब्रेरी में लगाई गई न्याय की देवी की मूर्ति 

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फिरोज खान, यूपी हेड/उत्तरप्रदेश। देश में कुछ समय पहले अंग्रेजों के कानून बदले गए हैं. अब न्यायपालिका ने भी ब्रिटिश युग को पीछे छोड़ते हुए नया रंग-रूप अपनाना शुरू कर दिया है। न्याय की देवी की आंखों से उतरी पट्टी, संविधान ने ली तलवार की जगह न्याय की देवी की मूर्ति की आंखों से पट्टी उतरी।

दिल्ली-सुप्रीम कोर्ट अब नए भारत की न्याय की देवी की आंखों की पट्टी खुल गई है। यहां तक कि उनके हाथ में तलवार की जगह संविधान आ गया है। दिल्ली -अब भारतीय न्यायपालिका ने भी ब्रिटिश युग को पीछे छोड़ते हुए नया रंग-रूप अपनाना शुरू कर दिया है. ये सब कवायद सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने की है. उनके निर्देश पर न्याय की देवी में बदलाव कर दिया गया है। ऐसी ही स्टैच्यू सुप्रीम कोर्ट में जजों की लाइब्रेरी में लगाई गई है।

हाथ में तलवार की जगह संविधान
इस तरह देश की सर्वोच्च अदालत ने संदेश दिया है कि अब ‘कानून अंधा’ नहीं है।सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के निर्देश पर न्याय की देवी की आंखों से पट्टी हटाई गई है और हाथ में तलवार की जगह संविधान को जगह दी गई है। मूर्ति के हाथ में तराजू का मतलब है कि न्याय की देवी फैसला लेने के लिए मामले के सबूतों और तथ्यों को तौलती है। तलवार का मतलब था कि न्याय तेज और अंतिम होगा।अभी तक न्याय की मूर्ति की आंखों पर पट्टी बंधी थी। एक हाथ में तराजू और दूसरे हाथ में तलवार थी।

थेमिस को कानून-व्यवस्था का प्रतीक माना जाता
इसे सद्भावना, न्याय, कानून और शांति व्यवस्था जैसी विचारधाराओं का प्रतीक माना जाता है। ग्रीस में थेमिस को सच्चाई और कानून-व्यवस्था का प्रतीक माना जाता है। वो इलाके के लोगों के साथ न्याय करती थी। वैदिक संस्कृति में डिओस द्वारा ज़ीउस को प्रकाश और ज्ञान का देवता बृहस्पति कहा जाता था। जस्टिसिया देवी डिकी का रोमन विकल्प थी। डिकी को आंखों पर पट्टी बांधे हुए दिखाया गया. न्याय की देवी हाथों में तराजू और तलवार लिए महिला न्यायधीश, आंखों पर पट्टी बांधकर न्याय व्यवस्था को नैतिकता का प्रतीक माना जाता है।

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