Bareilly News : बकाया भुगतान, मानदेय और सम्मान की मांग को लेकर उप्र आशा वर्कर्स यूनियन ने किया प्रदर्शन।

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बकाया भुगतान, मानदेय और सम्मान की मांग को लेकर उप्र आशा वर्कर्स यूनियन ने किया प्रदर्शन।

बरेली । वर्षों से अपनी मेहनत और सेवा के बदले बकाया प्रोत्साहन राशि, सरकारी घोषणाओं के क्रियान्वयन और कार्य के उचित प्रतिफल की मांग को लेकर उत्तर प्रदेश आशा वर्कर्स यूनियन ने सोमवार को सेठ दामोदर स्वरूप पार्क में जोरदार प्रदर्शन किया सिटी मजिस्ट्रेट को ज्ञापन दिया ।


अध्यक्ष शिव वती साहू ने बताया सरकार की उदासीनता और वादाखिलाफी के खिलाफ आवाज बुलंद की। ज्ञापन में स्पष्ट किया गया कि जुलाई 2019 से दिसंबर 2021 तक की ₹750 मासिक राज्य प्रोत्साहन राशि, कोविड-19 के दौरान केंद्र सरकार द्वारा घोषित ₹1000 प्रतिमाह की प्रोत्साहन राशि, और आयुष्मान कार्ड, आभा आईडी, टीवी स्क्रीनिंग, दस्तक, खसरा-रुबैला, कुष्ठ रोग सर्वे सहित दर्जनों राष्ट्रीय अभियानों में दिए गए योगदान की प्रोत्साहन राशि अब तक बकाया है। यूनियन ने आरोप लगाया कि इन सभी कार्यों को सफलता से पूरा करने के बावजूद भुगतान न होना सरासर अन्याय है।
वर्ष 2021 में विधान सभा में मुख्यमंत्री द्वारा की गई घोषणाओं, जैसे आशा कर्मियों को ₹6,750 और संगिनी को ₹11,500 प्रतिमाह का भुगतान, अब तक केवल कागजों पर सिमटी हुई हैं। यूनियन का दावा है कि प्रदेश की 0.001% आशा कर्मियों को भी यह राशि कभी नहीं मिली। यही नहीं, कार्य के दौरान जान गंवाने वाली आशाओं के आश्रितों को बीमा राशि देने का निर्णय भी धरातल पर नहीं उतरा।

ज्ञापन में आभा आईडी के संदर्भ में भी गंभीर प्रश्न उठाए गए। जनवरी 2023 से लगातार डेटा संकलन के बावजूद प्रति आईडी तय भुगतान का कोई स्पष्ट दिशा-निर्देश नहीं है। इसी तरह राज्य सरकार द्वारा प्रदत्त ₹1500 की राशि और अन्य भुगतान में 300 रुपये से लेकर आधे तक की अवैध कटौती की शिकायत की गई, जिस पर रोक लगाने की मांग पहले भी की गई थी, लेकिन कोई कदम नहीं उठाया गया।

यूनियन ने वित्तीय वर्ष 2024-25 के सभी राष्ट्रीय अभियानों की बकाया राशि का तत्काल भुगतान, भारतीय श्रम सम्मेलन की सिफारिशों के अनुसार स्थायी कर्मचारी का दर्जा, न्यूनतम वेतन, मातृत्व अवकाश, पीएफ-ईएसआई की सुविधा, और कोविड योगदान की 24 माह की राशि के शीघ्र भुगतान की मांग रखी है।
इसके अलावा ज्ञापन में यह भी मांग की गई कि कार्य के दौरान दुर्घटना या अन्य कारणों से जान गंवाने वाली आशाओं के परिवारों को बीमा राशि दी जाए, भ्रष्टाचार और भुगतान में हेरफेर की जांच कर त्वरित शिकायत निवारण समिति गठित की जाए, और सभी आशा एवं संगिनी कर्मियों के साथ उनके परिवारों को आयुष्मान योजना का लाभ मिले।
यूनियन ने यह भी मांग रखी कि मुख्यालय बुलाए जाने पर रात्रि विश्राम, साफ पानी, शौचालय जैसी मूलभूत सुविधाएं सुनिश्चित की जाएं, बैठकों में चाय-नाश्ते की व्यवस्था अनिवार्य हो, और महिला अधिकार अधिनियम के तहत उन्हें जरूरी अवकाश दिया जाए।
आशा वर्कर्स यूनियन ने उम्मीद जताई है कि इस बार उनकी मांगें केवल कागजों पर नहीं, बल्कि ज़मीनी स्तर पर अमल में लाई जाएंगी और वर्षों की मेहनत का उन्हें न्यायपूर्ण फल मिलेगा।

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