उर्स-ए-फैज़ानी: वलियों के फैज़ और दुआ से निखरती है तकदीर

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बरेली। नोमहला शरीफ परिसर स्थित दरगाह नासिर मियाँ रहमतुल्लाह अलेह पर उर्से फैज़ानी के दूसरे दिन की शुरुआत बाद नमाज़े जुमा हुई दूरदराज से आये अकीदतमंदों ने मज़ारे मुबारक पर गुलपोशी कर मन्नते मुरादे माँगी। दरगाह के सज्जादानशीन हज़रत ख़्वाजा सुल्तान अहमद मियाँ नासरी साबरी अल क़ादरी की सरपरस्ती में बाद नमाज़े असर खत्मे शरीफ़ की रस्म अदायगी की गई।

नायब सज्जादानशीन हज़रत ख़्वाजा सलमान मियाँ नासरी ने कहा कि 45वें हज़रत फैज़ान अहमद रहमतुल्लाह अलेह के उर्स की तकरीबात में महफ़िल समां में फ़नकार कब्बाल जीशान फैज़ान मज़ाकि शेरगढ़ ने कलाम पेश किये। बाद नमाज़े मग़रिब लंगर ए आम का आयोजन किया गया, बाद नमाज़े इशा ऑल इंडिया मुशायरा में शोराय इकराम में अपने कमालों के जरिये बुज़ुर्गों की शख्सियत में शायरी पढ़ी।

बच्ची है इस के लिए बस्ती अभी क़हर ए इलाही से,
अभी बस्ती में कोई साहब ए इद्रक जिंदा है। (बिलाल सहारनपुरी)
अख़लाक़ अच्छा कर तो दुश्मन भी तेरा हो जाये,
आज़ज़ी वाले लोग हमेशा बड़े रहते हैं।
ख्वाजा सलमान अहमद नासरी
मैं राहे इश्क के उन मंजिलों में उ के जहाँ
मेरा विसाल तो किया हिज्र भी मजा देगा (खुर्रम सुल्तानी)
तुम्हारे साथ रहते हैं यूं ही बरबाद हैं अब तक,
किसी की आँख में रहते तो काजल हो जाते।(अमजद अज़ीम)
हमने सोचा था दिल जला डालें,
फिर ख्याल आया दिल में तू भी है. (अज़म शकीरी)
तेरी कुर्बत के हसीन ख्वाब तो देखे हमने
वस्ल का एक भी लम्हा नहीं पाया जाना

ख्वाजा शायान अहमद नासरी हज़रत शाने अली कमाल मियाँ,सूफी वसीम मियाँ नासरी साबरी,शाहिद रज़ा नूरी ने अकीदतमंदों का गैरमखदम किया। इस मौके पर मुख्य रूप से पम्मी ख़ाँ वारसी,सरवर नासरी, बब्बू नासरी,फहीम यार खान,अलीम सुल्तानी,साबिर सुल्तानी,यासिर सुल्तानी, वारिस सुल्तानी, साकिब सुल्तानी, इफ़जान सुल्तानी,सलमान सुल्तानी,ख़्वाजा वसीम मियाँ नासरी साबरी, हज़रत शाने अली कमाल मियाँ साबरी नासरी, सूफी वसीम मियाँ साबरी नासरी,मो शाहिद क़ुरैशी नासरी,आमिर सुल्तानी,जिया उर हमान,अंजुम नासरी, वारिस नासरी, गुलफाम नासरी, सलीम साबरी, नईम साबरी और रिज़वान मियाँ आदि प्रमुख रूप से शामिल रहे।

समाजसेवी पम्मी ख़ाँ वारसी ने महफ़िल में कहा कि सभी लोगों को हर सेक्टर में जागरूक होने की ज़रूरत है,शिक्षा के रास्ते पर कामयाबी हो सकती है। मदरसों में तकनीकी ज्ञान और सोशल नेटवर्किंग साइटों के सही तरीके से इस्तेमाल करने का भी ज्ञान देने की ज़रुरत है।दीनी तालीम के साथ ही उच्च स्तरीय शिक्षा हासिल करना ज़रूरी है। हज़रत शाने अली कमाल मियाँ ने बताया कि 9 अगस्त (शनिवार) नमाज़े असर के बाद हज़रत फैज़ान अहमद रहमतुल्लाह अलेह का 45वें कुल शरीफ की रस्म अदा की जाएगी। मग़रिब बाद लंगर-ए-आम और फिर इशा के बाद महफ़िल-ए-समा व ख़ुसूसी दुआ होगी।

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