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दिव्यांग 120 बच्चों को शिक्षा देने को बरेली संकेत राजकीय विद्यालय में मात्र 2 ही शिक्षक
वर्ष 1951 यानी लगभग 74 वर्ष से दे रहा है मूक बधिर बच्चों को शिक्षा
बरेली। उत्तर प्रदेश के बरेली में वर्ष 1951 में 19 बीघा जमीन पर सिविल लाइंस में स्थापित सबसे पुराना मूक बधिर विद्यालय में वर्तमान सत्र में लगभग 120 बच्चों के पंजीकरण के बाबजूद आजकल शिक्षकों की कमी से विद्यालय जूझ रहा है।

लगभग 120 बच्चों पर वर्तमान में दो स्थाई एवं पार्टटाइम शिक्षक ही हैं। वर्तमान में 11 शिक्षकों की जगह अब केवल एक ही महिला शिक्षक शिवी अग्रवाल और प्रधानाचार्य बलवंत सिंह ही कार्यरत हैं। दिव्यांग जन सशक्तिकरण विभाग के अधीन आने वाले बरेली के इस संकेत विद्यालय में वर्तमान में 11 शिक्षकों के सापेक्ष अब एक ही महिला शिक्षक शिवी अग्रवाल और प्रधानाचार्य बलवंत सिंह कार्यरत हैं। इस सत्र के लिए एक शिक्षक की अस्थाई व्यवस्था वेसिक शिक्षा विभाग से बरेली के ज़िलाधिकारी द्वारा की गई है ।
जिसमें संजीव कुमार तीन दिन एंव रूप वसन्त मौर्य तीन दिन संकेत में आकर अस्थाई रूप से शिक्षण कार्य करेंगे। जबकि 11 अन्य कर्मी आउट सोर्स से ऑफिस कर्मी, सहायक, सफाई, माली, रसोईकर्मी रखे गए हैं। स्मरण रहे कि उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ की सरकार में दिव्यांग जन सशक्तिकरण विभाग के मंत्री नरेंद्र कश्यप बरेली जिले के भी प्रभारी मंत्री भी हैं। उनका कई बार इस संकेत विद्यालय में भ्रमण का कार्यक्रम भी बना पर किसी न किसी कारण उनका भ्रमण टल ही गया जो उनकी दिव्यांग बच्चों के प्रति उदासीनता ही दर्शाता है।
बरेली के संकेत विद्यालय परिसर में ही 120 बच्चों की क्षमता वाला छात्रावास भी है। छात्रावास में लगभग 50 बच्चे रह रहे हैं जिनको सरकार की और से प्रति बच्चा 2 हजार रूपए प्रतिमाह भोजन, नाश्ता, ड्रेस आदि के लिए मिलता है । पठन सामग्री निशुल्क ही मिलती है। विद्यालय में खेलकूद के लिए समुचित सामान तथा मैदान एवं पुस्तकालय की व्यवस्था भी है। विद्यालय में कम्प्यूटर की लैब भी है। विद्यालय परिसर में बड़ी संख्या में फलदार वृक्ष एवं फूलो बाले पौधे लगे हुए है जो विद्यालय परिसर की सुन्दरता को बढ़ाते हैं।

यह विद्यालय मूक- बधिर बच्चों को शिक्षा प्रदान करने हेतु संचालित किया जा रहा है। यहां 6 वर्ष या उससे अधिक आयु के मूक- बधिर बच्चे प्रवेश ले सकते हैं। इन बच्चों को कक्षा आठ तक की शिक्षा एवं व्यावसायिक प्रशिक्षण की व्यवस्था विद्यालय में ही है। बरेली एवं आस- पास के बच्चों के प्रवेश लिए आते हैं।
इन मूक बधिर बच्चों को होंठ पाठन एवं वाणी वाचन के द्वारा पढ़ना- लिखना सिखाया जाता है। हिन्दी, अग्रेजी, गणित कंप्यूटर एवं अन्य सभी वर्गों की शिक्षा छात्रों को दी जाती है। इसके साथ ही संकेत के छात्र- छात्राओं को तीन दिन का व्यवसायिक शिक्षा के अन्तर्गत सिलाई कटिंग का शिक्षण एक संस्था सी यू जी एल द्वारा 15 सिलाई मशीन लगवा कर दे रही है । वर्ष 2013 से काष्ठ कला बेंत फर्नीचर आदि सभी प्रशिक्षण स्थाई रूप से बंद कर दिए गए थे। संकेत में जिन छात्रों में औसत श्रवण शक्ति होती है। उन्हें श्रुति श्रवण का प्रशिक्षण देकर उनके श्रवण शक्ति का उपयोग करने की शिक्षा मिलती है।
प्रदेश सरकार द्वारा निःशुल्क शिक्षा प्रदान करने का भी प्रावधान है जो बालक- बालिकाएं सुन या बोल नहीं पाते हैं। वे इस संकेत विद्यालय में प्रवेश पाते हैं । संकेत विद्यालय में प्रत्येक वर्ष पहली अप्रैल से प्रवेश प्रारम्भ हो जाते हैं जो सत्र 31 मार्च को समाप्त होता है। छात्रों के प्रवेश के लिए जाति, पंथ, धर्म, संप्रदाय का कोई प्रतिबांध नहीं है। मानसिक रूप से अक्षम एवं बाल अधिनियम के अन्तर्गत दंडित बच्चों का प्रवेश संकेत स्कूल में वर्जित है। प्रवेश के इच्छुक बच्चों का अभिभावक होना जरूरी है बरना बच्चे का प्रवेश सम्भव नहीं होता है।
बरेली महानगर से 20 किलोमीटर परिधि की दूरी तथा अन्य जिलों के बच्चों के लिए संकेत विद्यालय में 120 बच्चों की क्षमता वाले बरेली में संकेत विद्यालय में छात्रावास की सुविधा भी है। दिव्यांग छात्रों के लिए प्रदेश सरकार द्वारा 2 हजार रुपए प्रतिमाह की दर से छात्रवृत्ति प्रदान की जाती है। इससे छात्र दैनिक उपयोग की वस्तुए जैसे साबुन तेल, टूथपेस्ट, मंजन, टूथब्रश भोजन नाश्ता आदि पर किया जाता है। जूते मोजे एवं बैग, बाक्स आदि की व्यवस्था अभिभावकों द्वारा की जाती है। संकेत राजकीय विद्यालय में भी अन्य विद्यालयों के अनुसार शैक्षिक सत्र एक अप्रैल को प्रारम्भ होकर 31 मार्च को समाप्त होता है। विद्यालय का निरीक्षण एवं देखरेख जिला दिव्यांगजन कल्याण अधिकारी द्वारा किया जाता है। विद्यालय में विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिताओं एवं कार्यक्रमों का भी आयोजन समय-समय पर होता रहता है। बीते शैक्षिक व 2024- 2025 में कुल 120 छात्र छात्राएँ पंजीकृत है। इनमें से लगभग 50 छात्र छात्रावास में रहकर पढ़ाई करते हैं। बरेली नगर के रहने वाले दिव्यांग छात्र अपने घरों से शिक्षा प्राप्त करने के लिए विद्यालय आते हैं। संकेत विद्यालय में पठन- पाठन को प्रधानाचार्य के अलावा 11 शिक्षक के अलावा अनुदेशक कार्यालय स्टाफ एवं चतुर्थश्रेणी कर्मचारियों को मिलाकर कुल 25 पद सृजित है। सरकार एवं विभागीय अधिकारियों की उदासीनता के कारण इन 11 शिक्षक पदों के सापेक्ष प्रधानाचार्य बलवंत सिंह के अलावा एक शिक्षक/एवं 11 कर्मचारी आउट सोर्स से ही कार्यरत है।
बरेली का संकेत विद्यालय बीते 74 वर्ष से दिव्यांग बच्चों में स्वावलम्बन की अलख जगा रहा है। यहां से शिक्षा एवं प्राप्त कर हजारों दिव्यांग बच्चे आज समाज में स्वावलम्बी जीवन बिता रहे है। प्रदेश सरकार का दिव्यांग जन सशक्तिकरण विभाग के अलावा कुछ सामाजिक संस्थाएँ भी इन बच्चों के प्रति उदासीन ही बनी रहती है जिनको भी जागरूक करना जरूरी है। बरेली में इसी विद्यालय परिसर में बने बचपन स्कूल में 3 से 7 वर्ष आयु वर्ग के वर्तमान में 30 बच्चे पंजीकृत हैं जिन्हें दृष्टि बाधित, श्रवण बाधित, एवं मानसिक मंडित बच्चों को उनके अनुसार शिक्षा दी जाती है । अब बचपन स्कूल का अब नया भवन भी इसी परिसर में बन रहा है । उत्तर प्रदेश सरकार में दिव्यांग जन सशक्तिकरण विभाग के मंत्री नरेंद्र कश्यप बरेली जिले के भी प्रभारी मंत्री हैं। उनका कई बार इस संकेत विद्यालय में भ्रमण का कार्यक्रम भी बना पर उनका किसी न किसी कारण भ्रमण टल ही गया। जो उनकी दिव्यांग बच्चों के प्रति उदासीनता ही दर्शाता है। उत्तर प्रदेश में वर्तमान समय में संकेत विद्यालय गोरखपुर एवं आगरा में दसवीं क्लास तक तथा बरेली फतेहगढ़ एवं लखनऊ में आठवीं तक की शिक्षा ही दी जाती है ।
