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बरेली का 300 बेड अस्पताल बना जांच का विषय: स्टाफ बिना 12 करोड़ की खरीद, उपकरणों पर जमी धूल
बरेली । करोड़ों की लागत से तैयार हुआ 300 बेड का संयुक्त चिकित्सालय अब सवालों के घेरे में है। बिना डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ की तैनाती के ही इस अस्पताल में 12 करोड़ रुपये के उपकरण और साज-सज्जा खरीदी गई, जो अब वर्षों से बेकार पड़े हैं। इस गड़बड़ी पर अब भारतीय लेखा परीक्षा एवं लेखा विभाग (CAG) की नजर है, जिसने सभी अभिलेखों की मांग की है।
बिना स्टाफ, फिर भी करोड़ों की खरीद…
ऑडिट रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि सरकार से स्टाफ की स्वीकृति मिले बिना ही अस्पताल के लिए डीप फ्रीजर, ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर, आईसीयू बेड, स्ट्रेचर, बाईपैप जैसी महंगी मशीनें खरीदी गईं। ये सभी उपकरण दो साल से स्टोर में बंद पड़े धूल खा रहे हैं। नियमानुसार बिना मानव संसाधन की व्यवस्था किए इस तरह की खरीद अवैध मानी जाती है।

खरीद से जुड़े दस्तावेज लापता, रजिस्टर नहीं मिला…
रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2015-16 में जब अस्पताल का भवन अभी हस्तांतरित भी नहीं हुआ था, उस दौरान लगभग 4.75 करोड़ रुपये के उपकरण खरीद लिए गए। कोरोना काल में जब अस्पताल शुरू करने की कोशिश हुई, तो कई उपकरण मिले ही नहीं। ऑडिट टीम जब खरीद का ब्योरा मांगने पहुंची तो संबंधित रजिस्टर तक नहीं मिला।
सीमित सेवाओं के साथ अधूरी शुरुआत…
अस्पताल के एक खंड में फिलहाल ओपीडी सेवाएं संचालित की जा रही हैं। फिजिशियन, नेत्र रोग, दंत रोग, चर्म रोग और रैबीज क्लीनिक जरूर चल रहा है, लेकिन सीबीसी, डिजिटल एक्सरे, ऑटोमैटिक एनालाइजर जैसे उपकरण या तो खराब हैं या प्रयोग के लायक नहीं। जांच सुविधाएं ठप पड़ी हैं क्योंकि जरूरी रीजेंट तक उपलब्ध नहीं हैं।
ऑडिट में मांगी गई विस्तृत रिपोर्ट…
भारतीय लेखा परीक्षा विभाग ने सीएमओ से निर्माण लागत की पुनर्समीक्षा, कार्यदायी संस्था से जुड़ा शासनादेश, उपकरणों की दो चरणों में की गई खरीद (प्रथम चरण में 4.75 करोड़ और द्वितीय में 8.26 करोड़) का पूरा विवरण मांगा है। ये जानकारी मार्च 2023 की CAG रिपोर्ट का हिस्सा बनेगी, इसलिए विभाग ने प्रमाणिक अभिलेखों के साथ रिपोर्ट शीघ्र उपलब्ध कराने को कहा है।
